By Shivani Vyas
एक जीव हूँ या ब्रह्माण्ड हूँ,
एक कण हूँ या चट्टान हूँ,
बिंदु हूँ या एक चित्र हूँ,
सामान्य या विचित्र हूँ,
टूटी-फूटी कोई तान हूँ,
या सरगम से बनता गान हूँ,
कोई पुण्य हूँ या पाप हूँ,
या होली की अग्नि का ताप हूँ,
भक्तों का कंठस्थ जाप हूँ,
या पंडितों का श्राप हूँ,
चेहरे पर बनते कई भाव हूँ,
क़स्बा या कोई गाँव हूँ,
संपूर्ण विश्व का ज्ञान हूँ
पर ख़ुद से मैं अंजान हूँ ।
Kafi gehre vichar, acchi pankitya aur rhythem hai great work 👌👌
Beautiful lines
So much motivational, soothing +fire
Fabulous 😍….itni gehrai amazing 😍
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