BY GYAN PRAKASH CHAUHAN
बढ़ चलें, आओ सब मिलकर
फूलों-सा, पंक्ति में गूँथकर
ना कोई, जाए छूट अब
चीटियों-सा, जय बोलकर
हर जुबां, कहे एक साथ
देखेंगे ना, फिर मुड़कर
ये कहीं, ना फिर मिले
सब रहें, दिल खोलकर
ये नज़ारा, हो सबसे प्यारा
प्रेम का, रस घोलकर
जग बने, अपनों का घर
दिल का, नाता जोड़कर
बढ़ चलें, आओ सब मिलकर
फूलों-सा, पंक्ति में गूँथकर |