By Chandra The Unique
1. तेरे आने से ज़िंदगी आ गई,
कई सालों से पड़े थे हम मृत से,
खुदा ने तुझे बनाया मेरे लिए,
फूल, शहद और अमृत से
तुझे बनाना उसके अकेले के बस की बात नहीं,
जाने कितनों से राय लेकर बनाया होगा,
खुदा ने तुझे पक्का तीन कप चाय लेकर बनाया होगा
देख कितने लहजे से तुझे लफ्जों में पिरोता था यार,
कलम में स्याही की जगह आंसू भर जाना जरूरी था क्या..?
मुझे छोड़कर और किसी के घर जाना जरूरी था क्या..?
इस प्रेम कहानी में मेरा मर जाना जरूरी था क्या..?
2. मैं नहीं कहता कि तुझे कोई ताजमहल दिला देता,
पर हां तेरी ख्वाइशें पूरी कर सकूं इतना तो कमा लेता,
जब महीने के आखिर में मुझे मेरी सैलरी मिल जाती,
तो एक हिस्सा मेरी मां को, एक तुझे थमा देता
आज एक जॉब भी है, पैसे से शायर भी हूं,
तेरा हर ख्वाब पूरा करता बता क्या कमी होती,
शादी के साल दो साल बाद एक नन्ही-सी जिल्फ जन्म लेती,
मुझे पापा-पापा कहती और तूं उसकी मम्मी होती
यहीं खुलवा देता एक स्कूल अपनी उस बेटी के लिए,
तेरा गांव छोड़कर शहर जाना जरूरी था क्या..?
मुझे छोड़कर...
3. अगर होती मंजूरी तेरी तो तुझे पा ही लेता,
चाहे इंडिया की छोड़, एशिया की छोड़, यूरोप की होती तूं,
लंबा कद, गौरा रंग, मासूम चेहरा और मीठी आवाज,
मेरी मम्मी की सारी बहुओं में टॉप की होती तूं
मुझे इल्म था कि अप्सराएं आसानी से नहीं मिला करती,
इसीलिए तो जिंदगी में पहली बार तेरे ही पैरों में लेटा था,
वरना तो बिना मांगे ही ख्वाईशें पूरी होती थी,
मैं घर का सबसे छोटा बेटा था
मेरी मां बाप भाई बहन सबकी जान हूं मैं,
मेरे कारण उनकी आंखें भर जाना जरूरी था क्या..?
मुझे छोड़कर...
4. हां मिल जायेगी लाख अच्छी तुझसे,
पर तुझ जैसी खराबी कहां मिलेगी,
जो तेरे chandra को चला सके वो चाबी कहां मिलेगी
मेरे यारों दोस्तों को उनकी भाभी कहां मिलगी,
बड़ी मशक्कत से तुझे जो गिफ्ट की,
वो कलम गुलाबी कहां मिलेगी
तूं खाली बैठी थी तो रंग भरने को षट्कोण बना दिया दिल का,
पर दिल को केवल काले रंग से भर जाना जरूरी था क्या..?
मुझे छोड़कर..
5. मैं नहीं कहता कि आज भी तेरे लिए टॉप पर हूं मैं,
पर कहीं ना कहीं मेरी जगह उसके बाद तो आती होगी ना,
एक बात पूछता हूं प्लीज झूठ मत बोलना, तुझे तेरे बच्चों की कसम है,
चाहे महीने में ही एक बार सही, पर याद तो आती होगी ना
लोग पता नहीं ssc का क्या मतलब समझते होंगे,
मैं तो अपनी ssc* का ख्वाब सजाए बैठा हूं,
उम्र के साथ पता नहीं कैसे भूल जाती है दुनिया,
तूं आज भी आजा राहों मैं गुलाब सजाए बैठा हूं
बड़ी इज्जत के संग तेरे बाप से तेरा हाथ मांगता मैं पागल,
मुझे बेइज्जत करके मुझसे हाथ छुड़ाकर जाना जरूरी था क्या..?
मुझे छोड़कर..
6. हां गुस्से में अक्सर तुझे छोड़ जाने की बातें करता था,
पर मेरे दिल में खुदा कसम तुझसे प्यार के अलावा और कुछ ना था,
अगर टाइम पास करता तो i love you बोलता ना,
पर याद कर मेरा तो पहला प्रश्न ही तुझे शादी का पूछना था
हां नहीं थी इतनी हिम्मत मुझमें यार,
कि पूरा दिन पढ़ाई के साथ साथ तुझे पूरा प्यार भी दे पाता,
पर शायद इतना हक तो था ना,
कि कुछ वक्त के लिए तुझे पाबंदी भरा इंतजार दे पाता
तेरे whatsapp ने खा लिया था रिश्ते को पागल,
इसीलिए तो कुछ वक्त बंद करने को बोला था,
पर मेरे सो जाने के बाद, उससे बात करने को तेरा telegram पर जाना जरूरी था क्या..?
मुझे छोड़कर..
7. शिकायत थी ना तेरी, कि बोहोत गुस्सा करता हूं मैं,
जाने ऐसा क्या हुआ अब भड़कना बंद कर गया,
मेरी रगों में तूं रहती थी, तेरी सांसों से मैं चलता था,
तूं छोड़कर गई और दिल धड़कना बंद कर गया
तेरे रोके के दिन तो मेरी सांसें रुक जाना लाज़मी था यार,
लोग कहेंगे एक लड़की के पीछे मर गया, कैसा आदमी था यार
होती कोशिशें अगर कुछ तेरी तरफ से भी तो मिल ही जाते हम,
यूं सूखे पत्तों की तरह बिखर जाना जरूरी था क्या..?
मुझे छोड़कर..
"" हां तुझे तो मिल गया है साथी कोई,
हमें तो अभी भी तेरी ही खोजबीन जारी है,
बोहोत शख्स मिले हमें महंगे आभूषणों में,
पर उन सब पर तेरी एक नोजपिन भारी है ""
ssc- शिव शिवानी चंद्रकांता (names of children)
chandra_the_unique (tera_pagal_shayar)
[SAA IN MINISTRY OF DEFENCE]