BY ASHISH MISHRA

मैं आदमी हूँ, मैं तेरा दोहन करूंगा
तुझे पूजूंगा, तुझे देवी कहूँगा 
मगर जब भी मौका मिलेगा
तेरा दोहन करूंगा
तुझसे जीऊंगा तुझपर मरूंगा 
फिर भी मैं तेरा दोहन करूंगा 
मैं आदमी हूँ
मैंने धरती की पुत्री 
पवित्र सीता को भी नहीं छोड़ा है 
अग्नि से जिसने जन्म लिया 
द्रौपदी को मैंने रौंदा है 
सती बनाके मैंने ही 
तुझे जलती चिता में ज़िंदा झोंका है 
तुझे तेरी ग़लती तेरा जन्म लगेगा 
माँ बख्श देगी तो माँसास करेगी 
सब की सेवा करे, ये आस करेगी 
तेरे सपने झूठे लिफाफों में है 
तेरा खेल था घर में 
सिसकियाँ ससुरालों में है 
तू अम्बर पर लिखी कहानी है कोई 
प्यार की प्यारी जुबानी है कोई
रहेगी तू मेरे महल में, 
बंदी तू ख़ुद को पाएगी, 
सोने के पिंजरे में कैद 
तू कभी उड़ ना पाएगी 
पंखो को तेरे काटूंगा 
तू फड़फड़ा कर मर जाएगी
रानी का वादा करके 
मैं दासी तुझे बना लूँगा, 
मैं आदमी हूँ 
तुझे देवी कहूँगा, 
तेरा पूजन करूँगा 
मगर मैं ही हूँ 
जो तेरा दोहन करूंगा 
मैं तेरे जिस्म का भूखा हूँ, 
मीठी मीठी बातें करके, 
प्यार का खेल भी खेलूंगा 
जब तक रहेगा जांघों में दम, 
मैं तब तक तुझको नोचूंगा 
अपना आगे वंश बढ़ाने 
मांस तेरा सब खींचूंगा, 
जब तक ना कर दे सब इच्छा पूरी
तब तक प्यार से तुझको देखूँगा 
रह जाएंगी बाक़ी जो कुछ भी 
उनपर तुझको कोसूँगा 
शृंगार कर तू कितना भी 
आँखों के मोती नहीं समेटूंगा
जब तक तू आ पाए काम किसी भी 
मैं तब तक तुझको पूछूंगा
सब इच्छाओं को पूरा करदे, 
फिर तेरी ओर ना देखूंगा
पड़ी रहेगी तू मुरझाइ-सी 
बालों को तो रंग लेगी 
सूखते गालों को कैसे छुपाएगी
मेरे बदन से अब तक 
खुशबु इत्र की आएगी 
मंजर एसा भी आएगा 
जब हाल तेरा पूछने पर 
मौत मुझे आ जाएगी 
मैं फिर अपना मुखौटा 
हाथ में तेरे रख दूंगा 
सिर्फ यौवन का था दीवाना 
साबित मैं यह भी कर दूंगा 
संसार बता के ख़ुद को तेरा 
संसार तेरा मैं निगलूँगा 
शक्ति तुझको बतलाकर 
कमजोर मैं तुझको कर दूंगा 
शिक्षा से अधिकारों से 
वंचित मैं तुझको कर दूंगा 
इसी तरह तो मैं तेरा 
दोहन करते आया हूँ 
लाचार तुझे, 
मैं सदियों से 
बेबस करते आया हूँ 
सोना चांदी सब तुझे सौंपकर 
लक्ष्मी घर की तुझे बना दूंगा 
तुझे देवी कहूँगा, 
तेरा पूजन करूँगा
लेकिन, मैं ही हूँ 
जो तेरा दोहन करूंगा॥