नील चन्द्र – Delhi Poetry Slam

नील चन्द्र

BY ANCHAL B NAIR

आज का चाँद नीला हैं
क्या आज वह सच्च में उदास हैं?
ताक रही है उसे सारे चकोरे
क्या आज शहर में सन्नाटा है?
क्या आज का चाँद नया है?

चंदा ने आज बादल को छोड़ा है
चंचलता का रंग समुन्दर से छीना है
प्रेम का रस आसमान में फैला है
आज भेड़ियों की गरज
नशे से भरी है
आज का माहौल इश्क से भरा है |

आज ही वह रात है
जब चंदा अपनी अंबर बदलेगा
आज वह पूरी रात चमकेगी
उसकी रोशनी सब पर पड़ेगी |


3 comments

  • Wonderful ❤️❤️❤️

    Sabna alan basheer
  • The poem is so amazing and it really made me think

    Allen Antony
  • Fantastic😍

    P Ebby Darney

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