By Aman Garg
वो दूर चला गया
माथे से बिंदी गयी,
गले से मंगलसूत्र गया,
मांग से उसका सिंदूर चला गया ,
एक सुहागन का सुहाग जो सैनिक था वो दूर चला गया,
किसी की आँखों का तारा,
जिसका जहाँ था वो सारा ,
जिसकी ममता से उसका नूर चला गया ,
एक माँ से उसका लाडला जो सैनिक था वो दूर चला गया ,
कोई था जिसकी वो लाठी था,
हर निर्णय में उसका साथी था,
एक बाप के सीने से उसका गुरुर चला गया ,
एक बूढ़े बाप का बेटा जो सैनिक था वो दूर चला गया ,
किसी के रक्षाबंधन का त्यौहार,
थाली में रखी राखी का इंतजार,
उससे बात बात में लड़ने का फितूर चला गया ,
एक बहन से उसका भाई जो सैनिक था वो दूर चला गया ,
सरहदों पर चट्टान सा ,
देश का अभिमान सा ,
जो दुश्मनो के मनसूबे चकनाचूर करके चला गया ,
इस भारत माँ से उसका सपूत जो सैनिक था वो दूर चला गया।