By Akil Contractor
वहा देखो शायद उस तरफ सब अच्छा होगा
जिसके शेहर काबिल मसीहा होगा
हम ख्वाब-ेओ -हकीकत समझते है जुदा
उनके लिए दोनों का असर सच्चा होगा
बेकस पे होता नहीं कोई ज़ुल्म-ओ-सितम
सूना आवाम का रेहम दिल रेहनुमा होगा
नहीं मजबूर तराज़ू बेहकने को कभी
मासूम को इन्साफ-ए-ज़फर मिलता होगा
ज़ालिम वहा भी है वही फितरत से ज़दा
उनके ज़ुल्म का सलीक़ा अब तक कच्चा होगा
अक्स मे देखे है वो खूब आईने का पयाम
पर्दा आँखों पे नहीं कोई चढ़ता होगा
ख़ालिक़ अलग ईमान का तरीक़ा हो अलग
आसमान एक है उनका भी वही रहता होगा
निकल आते है बेख़ौफ़ ज़रुरत हो जहा
ग़ैरों के लिए भी अपनों जैसा रूतबा होगा
कही तो होंगे ऐसे लोग तस्सवुरर का शेहर
मिल जाए हकीकत मे तो अच्छा होगा