By Vandna
वो लहराता मदमस्त सागर जवानी केजोश मैं
झूमता लहरों से खेलता सागर आयाऔर
रेत पर पड़ी सभी शंख सीपियाँ बहा लेगया
उन्ही सीपियों में से एक पर हमारा नामगुदा था
उन प्यार से भरे दिन और रातों का सारछुपा था
वो लम्हे जो बहुत क़रीब ले आए थे हमें
उन्ही लमहों का सारा सत् घुला था
वो बेसाख़्ता मुहब्बत मैं साँसों औरजिस्मों
का एक हो जाना पूरे चाँद की रात में
उस रात की गवाही में लिखे हमारे ख़त
इक दिन यूँ ही सीपी में डाल दिये थेहमने
वो तुम्हारा चाँदनी में नहाया बदन
मेहँदी लगे हाथों से सहलाता था मेरा तन
सारे पल हसीन यादों के हमारे क़ैद करसीपी में
दबा दिये थे कहीं रेत में तूने
वो इक दिन बहा ले गया वो समुन्दर
यूँ ही बस इक दिन उसी सागर के तट पर
अपनी गुड़िया संग खेल रहा था मैं
पापा देखो मुझे ये क्या मिला कहकर
एक सीपी थमा दी मेरे हाथों में
हाँ ये वोहि सीपी थी वो अनमोल सीपी
उस पर अब भी हमारा नाम गुदा था
हाँ हाँ हर इक लम्हा अब तक क़ैद थाउसमें
मेरा मुरझाया मन फिर से जी उठा
क़ुदरत के इस करम पर मैं हँस पड़ा
जो इक दिन सब ले गया था वो आजमुझे सब दे गया
तुम नहि पर तुम्हारी गुड़िया रानी ने आजमुझे
मेरा वजूद फिर से दे दिया
दूसरी दुनिया में जाकर भी शायद तुमने
मुझे जीने का सामान भेज दिया