तरुन शर्मा
कहने को तो, तन्हा हु मैं
पर अभी भी, इस दिल में
बहुत कुछ बाकी हैं
जैसे ये काली स्याह रात
ये अन्सुल्झे जज़्बात
कुछ अनकहीं बात
और तुम....
कहने को तो, तन्हा हु मैं
पर अभी भी, इस दिल में
बहुत कुछ बाकी हैं
वो यादों की बारात,
वो तारो भरी रात
वो हाथो में तेरा हाथ
आँखों में सिर्फ तेरा प्यार
और तुम...
कहने को तो, तन्हा हु मैं
पर अभी भी, इस दिल में
बहुत कुछ बाकी हैं
तुझसे मिलने की आस
तुझे छूने की प्यास
तुझे खोने का एहसास
और तुम...
कहने को तो, तन्हा हु मैं
पर अभी भी, इस दिल में
बहुत कुछ बाकी हैं
तेरा इंतज़ार
तेरा और सिर्फ तेरा प्यार
तेरी हँसी, तेरी चाह
और तुम...
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Great !
Thx @ souberi… :+)
Thx a lot @navashree Nandini :+)
Mezmerizing verse!
“बहुत कुछ बाकी हैं
तेरा इंतज़ार
तेरा और सिर्फ तेरा प्यार"
यूँ लगा जैसे आपके कविता की ये तीन पंक्तियों ने हमारे दिल की कहानी लिख डाली। बहुत खूब। More power to you dear writer.
Thanks sandy.. :-)
Nice Yrr.. Keep it up
Thank u ..@Pari… :-)
Thnx @Amit Prakash … :-)
Thnx Viren for ur kind support and encouragement… :-)
thnx bro..(Chandan Sharma) :-)
outstanding
Beautifully captured the feeling of loneliness amid her memories. Nice work buddy:-)
Nice poetry tarun …
Keep it up.. carry on your good work…
Nice one bro keep writing
Thnx Rahul… :-)
Nice lines …