Sab Kuch Khatam

By Sneha Sharma

अब जैसे सब कुछ ,सब कुछ  खत्म सा लगता है !
आँखे खुली है  पर  कुछ  भी  नही  दिखता  है
बस  ये पानी है जो कहने को तो बहुत  है
पर आँखों  को  बिघोने के  बाद ये  हमें  छूता भी  नही  है 
सुस्त  हैं  डरें  से  हैं , काप  रहे  है  पर  किसीको  कह  नही  सकते 
हम  अकेले  थे  पर  इतना  नही  की भीड़  में  भी  सनाटा  सा लगे 
शोर  क्या  है  ये बस हमारे  दिल  का  एक  हिस्सा  सा है  इससे जादा  हम  नही जानते 
इतना  चीखे ,  इतना  चिल्लाये  पर  हमारी  किस्मत  सोती  रही 
हम  हारें  नही  बस  थके  है  इस  डर  से  जो  सबने  हमें दिखाया 
हम सोचते  नही  बस  बहाना  है  की हम सोच  रहे  है 
ताकि  कोई हमें  परेशां न  करे  , कोई हमें  धक्के  से उठाये  ना 
हम  सोते  नही  बस  पलकों  को  आराम  देते  है 
इस पानी  ने  हमारी पलकों  को भीग्हो के सक्त कर दिया ह 
इनको  नरम  कर रहे  है 
हमें  जीतने की  आदत कब थी  पर  हम  कभी  हारे  नही 
लेकिन  अब ये लम्हे  हमे हरा  रहे  है  , डरा  रहे  है  
हम  रो  भी  तो नही सकते  , रोकर  होता क्या  ह  ये  भी सोच  नही  सकते 
क्युकी  हम  जकडे   हुए  है  फसे  हुए  है 
ये  जादा  सोचना हमें  खा रहा ह मार रहा  है 
लौट  आओ  अब  बस भी  करो  हां  लौट आओ 
ऐ  ख़ुशी  हम  थक गये  ह , बस करो  हम  हार  रहे  ह 
हमें  ऐसे  देखना  तो कभी  तुम्हे  पसंद  नही था 
अब  तुम  ही  हमें   तडपा  रही  हो 
रुला  रही हो  , जाने कौनसा  दिन  था  जो  हमें  याद  रखना था 
जो  आखरी  था  , जिसके  लिए  हम  तरस  गये  ह 
वो नाराज  है  हमसे  शायद  बहुत 
बहुत  ही नाराज  , तभी  तो  हमारी  ऐसी  हालत  पर  भी गम  नही उसे 
हम  सुस्त  है   , यहाँ  की  धुप  में  सूख  चुके  ह  पर 
ये  मौसम  अभी  भी  नम  सा लगता  है  फिर  भी  हमें 
अब  सब कुछ  ख़तम  सा लगता है  !


3 comments

  • Very good 👍🏻

    Shilpi
  • Beautiful lines Sneha

    Sunil
  • Bhaut badiya, nice lines sneha

    Ashish

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