अनाम
न जाने कितने साथ छोड़कर,
न जाने कितने दिल तोड़कर,
सूनी सड़कों पर फिरता,
अँधेरे में हर बार गिरता |
जीवन के इस रेगिस्तान में,
बंजर इस ज़मीन में,
तलाश थी बस एक बूँद की,
बस एक बूँद की...
हृदय के बाग में,
फूलों के आंगन में,
तलाश थी बस एक मधुकर की,
बस एक मधुकर की...
समुद्र से संसार में,
लहरों की गहराइयों में,
तलाश थी बस एक मोती की,
बस एक मोती की...
ज़िन्दगी के इस बेसुरे से गीत में,
राग के अभाव में,
तलाश थी बस एक सुर की,
बस एक सुर की...
हाय ! इतनी प्रतीक्षा के बाद,
अब हुई है नूर-ए-इनायत,
जीवन में आई है रूहानियत,
बंजर सी ज़मीन में...
हुई है खुशियों की बरसात |
इस बगीचे का रस लेने...
आई है मधुकर |
सब्र का मोती...
हासिल हुआ है आज |
मिला है सुर मेरा किसी से,
गाता हूँ अब मैं,
प्रेम गीत...