By Rahul Jha
ना जाने तुमसे बात करके मैं इतना बेकरार सा क्यू हो गया .
ऐसा नहीं है कि पहले तुमहें देखा नहीं था
ऐसा नहीं है पहले तुमहें सुना नहीं था
कुछ तो जादू सा कर गए तुम
ज़ितना बेकरार अभी हूँ, उतना पहले तो नहीं था
पूरी रात मैं तुम्हारे लिखे खतों को यूँही पढता रहा
जैसे कोई आयत पढ रहा हो
पूरी रात मैँ तुझे यूँही निहारता रहा
जैसे कोई कलम किताब को
चैन तो नहीं मिल रहा था
सोचा, तुम्हारी कुछ तस्वीर ही देख लूँ
कंभखत ज़ितनी बार तुम्पर नजर पड़ती
वो फूल टूट कर गिर पड़ते
जो मैंने तेरे नाम के बोये थे
वो बारिश में भीगे हूए फूल
तुम्हारी आखों पर गये थे
वो लेलहाते पत्ते
जैसे हलकी हवा में तुम्हारे बाल उड रहे थे
वो रात में तारों का चलना
एकटक तुम्हारी आखों को देखना
वो सुबह सुबह पंछीयौं का चहकना
तुम्हें देखकर अपनी नजरें चुराना
वो रातों में हवाओं का चलना
गली के नुक्कड़ पर तेरी राह तकना
वो सर्द रातों में ओस का पड़ना
हर वक़्त तुम्हरे नजदीक रहना
तेरे आखों में काजल सा चमकना
वो तेरा हर बात पर शार्माना
मुसकुराकर चाँद को पकडना
ये सब ना जाने क्यू तुमसा लगता है
तुमपर पीला रंग बहुत खिलता है
तुमहें देखना तो नसीब में नहीं
इसी बहाने,तुम्हें खत लिखकर,
तुमसे गुफतगु हो जाती है
पीला रंग
Beautiful 👌just like your heart
Keep it up rahul
Wow… awesome…
जैसे कोई कलम किताब को
चैन तो नहीं मिल रहा था Great line.
and this one तुमपर पीला रंग बहुत खिलता है great keep up the good work.
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