नेकी ख़ुदा की... खुशियाँ

BY LOPAMUDRA PAL
ढूँढने चला जो खुशियों को दर-बदर,
दिखे ना कहीं उसका वज़ूद, ना आए वो नज़र।
ख़ामोशी से इल्तिज़ा कर रहा है दिल,
किसकी ख़ुमारी पर मक़सूद, ढाया वक़्त ने क़हर।
ना ढूँढ उसे कोई मंदिर मस्जिद में,
ना ढूँढ उसे गुरद्वारों में, कहीँ ना उसका बसर।
देखले कोई बच्चे को या बूढ़े को,
उनके मुस्कुराहट में, आएंगे तुझे खुशियाँ नज़र।।
मसरूफ़ियत भरी ज़िन्दगी में,
कहने को वक़्त है बहुत ही कम, उससे गुज़र।
वफ़ाओं का दामन थामे चलना,
इत्मीनान से होगा खुशनुमाई का बेइंतहा मयस्सर।।
फ़साना बनेगा दिल और दिमाग का,
ख़ुद ख़ुदाई भी दिखाएगी ज़िन्दगी पर असर।
इबादत हो इन्सानियत की शब-सुबह,
नहीं तो, महरूम रह जाओगे दुआओं से अक्सर।।
दिल की गहराई में जाकर झाँको जरा,
देख पाओगे, नेक दिल ही कहलाए ख़ुदा का घर।
मुफ़लिसी में भी अमीरी नज़र आए हँसी से,
नजदीक़ लगे, अपनी गिरेबान में खुशियोँ का दर।।
किसी को देकर सुकूँ वज़ूद से मिल जरा,
खुशियों का ख़ज़ाना नज़र आएगा हर चेहरे पर।
बेवजह बदनाम ना करना ज़िन्दगी को यूँ,
नेकी ख़ुदा की रंग लाएगी दुआँओं का जब हो असर।।
मेरे लिए वालिद वालिदायन की खुशियां कीमती,
अलावा उनके ना कोई सच्चे मन से करे जिस्त में बसर।
ख़ुदा से पहले इबादत करूँ उनके लिए उम्र भर,
बश्शाश करूँ उनकी ज़िन्दगी को, मिले ख़ुदा का दर।

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