By Snehal Kalda
एक एहसास, जिसे मोहब्बत कहती है दुनिया।
एक विश्वास, जिसे इबादत कहती है दुनिया।
एक नग्मा, जो आशिक़ो के दिल में धड़कता है।
एक एहसास, जो होठों से ज्यादा आँखो में छलकता है।
एक मन्नत, जो खुद से ज्यादा खुदा के करीब ले जाती है।
एक इनायत, जो अपने प्यार को खुदा बनाती है।
लोग कहते है कि, मोहब्बत दुनिया भुला देती है।
मैं कहती हूँ कि, मोहब्बत खुद से मिला देती है।।
मैं कहती हूँ कि, मोहब्बत खुद से मिला देती है।।
हज़ारो कहाँनियों की तरह, मोहब्बत की किताब में,
मेरी आशिकी के भी कुछ पन्ने जुड़े।
दो अनजानी सी राहों पर जब वो दो मिले,
तो उनके दिल के धागे कुछ इस तरह जुड़े।
अजनबी से दो दिल थे, अजनबी सी दो राहें थी।
आँखो ने कुछ गुस्ताखी सी की,
उसे देख कर दोबारा देखने की ख्वाइश सी की।
दिल ने समझाया इन आँखो को, की यंही रुक जा दीदार ना कर।
आँखो ने कहा मेरे फ़ैसले पे तू सवाल ना कर।
जब आँखो ने देखा उन्हें, तो दिल का बेहाल हुआ।
आँखो ही आँखो में ना जाने कैसे प्यार हुआ।
मैं देखती रही उसे और वो मुस्कुराने लगा।
शायद मेरे आलम को जान लिया था उसने,
तभी तो वो मेरे पास आने लगा।।
तभी तो वो मेरे पास आने लगा।।
ठेहरा हर लम्हा वही मेरा, जब वो करीब आने लगा ।
मैंने आँखे झुकाई और वो हाथ बढ़ाने लगा।
मेरे अंदर एक तूफ़ान सा उठा, जिसे मैं रोकना नहीं चाहती थी।
मेरे अंदर एक सैलाब सा उठा, जिसे मैं टोकना नहीं चाहती थी।
हुआ वही फिर एक बार, जो दिल को गवारा था।
उस एक लम्हे में तो मुझे, खुद को भुला देना भी गवारा था।
हाथों में हाथ लिए वो दो अजनबी आगे बढ़े,
मोहब्बत का कारवा शुरू हुआ, जज़्बातो का सिलसिला शुरू हुआ।
दिलो की धड़कने इस तरह तेज़ होने लगी,
की खुद से ज्यादा मैं किसी और की होने लगी।
बेफ़िक्र अंदाज में दो दिल मिले,
और मोहब्बतो के आलम में झुमने लगे।
बिना किसी के प्रभाव में, ना किसी के अभाव में,
दो अजनबी मिले किस्मत के बहाव में।।
दो अजनबी मिले किस्मत के बहाव में।।
और लिख गए एक ऐसी मोहब्बत की दास्ताँ जो समझ से परे है।
आखिर वही तो सच्चे आशिक़ कहलाए,
जो अपनी मोहब्बत की ख़ातिर, दुनिया से लडे़ है।
ऐसी मोहब्बत जो -
गुमनामियो से नहीं, गुस्ताखियो से भरी है।
जो बंदिशो से नहीं, आज़ादियो से भरी है।
ऐसी मोहब्बत जो आँखो में आँसू और दिलो में खुशी दे जाए।
उस बेखौफ मोहब्बत की ऐसी इबादत, सिर्फ सच्चे आशिक़ ही कर पाए ।।
उस बेखौफ मोहब्बत की ऐसी इबादत, सिर्फ सच्चे आशिक़ ही कर पाए ।।
अद्भुत गहन.
सिर्फ सच्चे आशिक़ ही ….. " करा " ….. पाए ।