आखिर क्या कसूर है इन मासूमो का
क्या यह इन की गलती है,
कि यह गरीबीं में पैदा हुए, इनकी किस्मत में बेकारी और बेदर्दी है?
इंसान है सब की तरह, इनकी भी वही धरती है,
यह समाज का हिस्सा है, पर उसी समाज से वंचित हैं|
सिर पर ना पक्की छत, ना खाने को दो वक्त की रोटी है,
शिक्षा का अभाव है, ना सपने देखने की आजा़दी है!
झुलसते है वह माता पिता, एक एक पाई जुटाने के वास्ते,
मजबूर हैं हालातो के आगे, चाह कर भी अपने बच्चों कि जिंदगी नहीं संवार पाते|
फंसे हैं वह ऐसे मायाजाल में, जिस से निकलना विषम हैं,
सुधार रहे है वो खुद को,पर कम पड़ जाता उनका श्रम है,
इसलिए वह वहीं के वहीं रह जाते हैं,
बेगुनाह है पर फिर भी सज़ा पाते हैं,
जीने के लिए लड़ते हैं, इसलिए कचरा बीनते है, भीख मांगते हैं या अपराध करते हैं,
या थक कर खुद ही गुनाह का शिकार बनते हैं|
आखिर क्या कसूर है इन मासूमो का
क्या यह सच में इन की गलती है,
कि इन्हें विरासत में मिली ऐसी जिंदगी है?
देश विकसित हो रहा है, पर बिछड़ा हुआ अभी भी उसका यह अंग है,
भ्रष्टाचार और लालच की देन हैं, कि यह वर्ग जी रहा बेरंग है!
अभी मानवता बाकी है ज़माने में,
आओ साथ मिलकर पहल करें, लिखते नयें फसाने है!
वह भौतिकता से दूर है, पर प्यार के हकदार हैं ,
हम थोड़ी अच्छाई तो बांट सकते हैं, हम शायद इतने तो मददगार है!
जो हमारे लिए बेकार है, उन्हें देकर उनका दिन बना देते हैं,
नीच समझ कर उन्हें भगाते नहीं है, बल्कि जो आराम से हो पाए, वह कर लेते हैं,
कुछ नहीं तो कम से कम एक मुस्कान और दो मीठी बातें कर सकते हैं!
दिल को भी सुकून मिलेगा, और वह मासूम भी कुछ पल की खुशियां मना लेंगे
हमारे देश के ही हैं, उनको भी साथ लेकर आगे बढ़ते हैं,
आओ छोटे कोशिशो के ज़रिए, एक नए भारत की नीव रखतें हैं।
क्यूंकि ये उन मासूमो का कसूर नहीं है,
ना ही ये उनकी गलती है।
Beautifully expressed
These kids will become the future of India tomorrow. Great initiative and beautifully written