कुछ कहना है तुमसे – Delhi Poetry Slam

कुछ कहना है तुमसे

अमित देश

सुनो ना
कुछ पूछना है तुमसे
ऐसा सुना है मैंने
की प्यार दूसरी बार नहीं होता
अगर सच है ये तो क्यू
तुम्हें हर बार देख कर लगता है
की तुमसे फिर प्यार हो गया है
पर अब जो हो गया है
क्या मुमकिन था इसका ना होना भी?
नामुमकिन था गर ना हो पाना,
तो ये प्यार होने के पहले कहाँ था?
ये राबता अपना, हमारे साथ होने से पहले
क्या हयात में हुआ करता था?
पर अगर ना होना नामुमकिन था,
और अगर हमको मिलना ही था
तो अगर हमको बिछडना ही है,
अगर लिखा है ये सब कहीं,
अगर आइन्दा भी होगा कुछ और नहीं
तो ये मुमकिन-नामुमकिन होना क्या है
अगर सब लिखा है पहले ही,
तो तुम्हें पाना, तुम्हें खोना क्या है
सुनो ना
कुछ पूछना है तुमसे
अगर सब ऐसा ही लिखा है ये,
तो क्यु मैं खुश होता हूँ
जब तुम मुझसे मिलने आती हो
क्यूँ मेरी मुस्कान नहीं थमती
जब तुम चिढ़ा के मुझे बुलाती हो
क्यू तुम्हारे हर लम्स से 
मेरा दिन महकने लगता है
क्यूँ तुम्हारी आवाज़ से मेरा मन
पंछी की तरह चहकने लगता है
अगर हमें अलग होना है किसी रोज़
और ये भी लिखा है किसी रोज़
तो क्यू खुदा हमें पहले बता नहीं देता
जब आइंदा देगा ही,
तो आज ही क्यू सज़ा नहीं देता
सुनो ना
कुछ कहना है तुमसे
मै मेरे लहजे़ मे
तुम्हारी खुशमिजाज़ि जोड़ लूँगा
तुम भी अपनी बातों में मेरे कुछ
अशआर रख लेना
मै तुम्हारी यादें रख लूँगा
तुम मेरा प्यार रख लेना
सुनो. दुनिया बोहोत हसीन है
मै जानता हूँ कि तुम जानती हो
हाँ तुम बहुत कुछ जानती हो
तुम मुझसे अल्हड़ जुनून ले जाना,
पर अपना थोड़ा सा इल्म मुझे दे दोगी ना?
मेरी नज़्म, मौसीकी, मोहब्बत, नज़रिया तुम रख लो
हिज्र से पहले तुम्हारा साथ मुझे दे दोगी ना?

3 comments

  • I think the way its written, in speakable fashion, it will work good as a pick up line that won’t sound forced but flow of speech in natural fashion. Incredible

    Yash Sharma
  • सुनो ना, बड़ा खूब लिखा हैं।?

    Mohit K
  • It’s a wonderful read !

    Tania Dey

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