रवि 'चांद' पूनियां
ना खुद से बात की,
ना लोगों को बताया ।
अकेले में रोया वो, सबको हँसाया,
बेवफाई की खुद से, याराना जमाने से निभाया ।
सबसे छुपा के रखा, कलेजा आईने को दिखाया,
बस अपने मन को रूठने दिया, सबको मनाया ।
तू मिलने गया सबसे, तुझसे मिलने कौन आया,
सबको जोड़ा जो थे बिखरे हुए, तू ढहा तो किसने बसाया ?
कुछ रात रही अकेली, कुछ में सितारों के साथ आया,
आज हिसाब करके बता 'चाँद' तूने क्या खोया, क्या पाया ।
क्योंकि ना तो तूने खुद से बात की,
और ना लोगों को बताया ।
Good!
Bahot khub ravi… bhanvnao ko bahot achhese dhala hain
Shukriya
Beautifully expressed. Really moving!
Sundar!