ग्रीष्म....

By Jagdeep Singh
@jaggi_ji_rehan_do_na_18
मोम सा बदन घुले -पिघले.... 
निदाघ की शमा में भी जलता हूँ, परवाना जो ठहरा.... 
जल की जो कामना जीभ तर कर दे.... 
परस्पर कर दें अलफ़ाज़ यह मेरे, दर्द कोई गहरा.... 
ज्यों सूर्य की ताप में.... 
ऐ चंद्र तेरा बदन है शीत... 
त्यों ही इश्क़ की याद में... 
है मगन मेरा गीत.... 
ज्यों धूप में गुलों का रंग धूप है.... 
प्रेम में डूबे हृदय का दृश्य, है हू -ब -हू... 
गोधूलि की छाँव में ज्यों झूमते हैँ भौरे दर-बदर... 
हम भी मस्त हैँ तेरी सांवली कशिश के रु -ब -रु.... 
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This poem won in Instagram Weekly Contest held by @delhipoetryslam on the theme 'Indian Summer' 

3 comments

  • aah!! beautiful!! love in the summers!! #GarmiyoKaPrem

    Tanvi
  • Beautifully written.❤️💕

    Vatsal Sharma
  • बहुत ही सुन्दर लिखा है आपने!

    Priyanka Kavish

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