Draupadi

By Dr Shruti Gupta

वो काला दिन जब मैं !
(ये मेरी कहानी मेरे पूर्व-जन्म से अगले सात जन्मों तक की है)…....


बात सतयुग की है,
जब मर्यादा की लाज़-शर्म निभाने हेतु मुझे बीच बाज़ार बेच आये थे
मैं वही स्त्री हूँ जिसके अस्तित्व पर सवाल उठाये थे !
काला दिन था वो और काली शुरूआत
क्योंकि सच्चाई के रक्षक ने की एक ग़लत शुरूआत ।


युग बदले मेरा रूप एवम् स्वरूप भी
फिर से आयी एक और काली रात !
जब एक राजन् के दुराचार ने ली मेरी  परीक्षा
और उठे मेरे चरित्र पर सवालात ।
"सबसे बड़ा काला दिन और ये थी उसकी शुरूआत
एक पाक् स्त्री को देनी पड़ी अग्नि-परीक्षा
जिसे पूजते थे देवी के समान !


मेरे रूप अनेक हुए बदला वर्तमान
एक और रूप सम्मुख आया
लेकर बदले का रूप और आग !
"भरे स्वयंवर में ले आये मुझे
क्यों किया भीष्म ने ये पाप
फिर माँग क्यों नहीं भरी और क्यों नहीं थामा मेरा हाथ !
काले दिन की ओर फिर से बढ़ा समाज ..


फिर आयी एक नयी देवी लेकर ख़ुद अग्नि का अवतार
उसकी ना ले सके अग्नि-परीक्षा तो किया भरी सभा में उसका अपमान

यज्ञसेनी ने प्रण लिया और हस्तिनापुर में लौटी लेकर अपना सम्मान
कुरुक्षेत्र की लाल भूमि ने उगली उसके बदले की आग !

यहीं न ये वक़्त रुका अब आयी कलयुग की वारदात
द्वापर युग में जिसको निर्वस्त्र किया आज कलयुग में ख़ुद वो दानव ख़ुद निर्वस्त्र हुआ ..
लेकर आया फिर एक काला दिन और काली रात !
अभी सहन भी नहीं हुआ था निर्भया की अश़्कों का भार
कि तुरन्त सिसकियाँ सुनी थी अासिफ़ा की पुकार !
ना जाने कब तक आएगी काली रात्रि और रात
कब ख़त्म होगा हस्तिनापुर के दामन से गिरा स्त्री का अपमान !!


Leave a comment

Please note, comments must be approved before they are published