अघोरी अमली सिंह
यह वादियों की ठंडी हवा और रेडियो पर चल रहा मधुर संगीत इस चाँदनी रात की ऊर्जा बढ़ा रहा है तुम्हारी सासों से मेरी सासों का मिलन तापमान बढ़ा रहा है मानों कलमकार कलम से प्रकृति के रंगों को और गहरा रंग दे रहा है
कह रहा है यह प्यार रुपी मोह के बदंन हम तोड़े एक नई दुनिया में प्रवेश कर रहे हैं यह नदी का शीतल जल कल कल करते बहता जा रहा है कहता जा रहा रोम रोम में बसा प्यार तुम्हारा है
स्पर्श दर स्पर्श सावन की यह मधुर बेला है
दो आत्माओं का मेल है जिसके सामने संसार के सारे चूतियापे फेल है
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Very beautifully written ✨
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आप सभी का दिल से धन्यवाद
आपकी कविता मुझे बहुत अच्छी लगी.
सुदंर❤✍?
बहुत खूबसूरत…