By Vaibhav Rikhari
मेरे देश का भविष्य एक बच्चा ..
मेरे घर के बाहर रहता है ..
पीछे वाली गली में एक फटी सी टाट पर बैठता ..
भुट्टे ले लो ..भुट्टे ले लो ...
कहता है !
अंगीठी में सिंक रहा भुट्टा ..
अपने साथ बचपन भी सेंक रहा है ..
सुनहरे दाने काले हो रहे हैं सपनो की तरह ..
और वो अनजाने में उनको फेंक रहा है |
पास में उसकी बहन बैठती है ..
चेहरा गोरा है पर हाथ काले हो गए हैं ..
चप्पल टूट गया था उसके पिछले महीने
अब पैरों में छाले हो गए हैं |
उन पांच रुपयों में भुट्टा नहीं बिक रहा ..
दो जिंदगियां बिक रही हैं ..
फिर भी कार में आते 'कपल' को ...
भुट्टे में रंगीनियाँ दिख रही हैं |
हमारा एहसास मर गया है शायद
जो हमें कभी दर्द नहीं होता !
या भुट्टे बेचने वाला वो बच्चा सुपरह्यूमन है ..
जिसको गर्म नहीं होता ..
जिसको सर्द नहीं होता !
कोई पिकनिक मनाने आया है
कोई बड़ा फॉर्मल है
सब देख रहे हैं भुट्टा सेकते हाथों को ..
सबके लिये ये बिलकुल नार्मल है ..
प्रश्न तो फिर भी मेरी तरह पूछने वाले बहुत हैं ..
हर गली में एक भुट्टे बेचता बच्चा रहता है ..
हर गली में इंसान भावशून्य हो मरते हैं |
वैसे तो शिक्षा का अधिकार जरूर है
कहते हैं अब देश अपना फलेगा
मैंने भी गर्व से पुछा उसको ..
स्कूल क्यूँ नहीं जाते ?
खिसियाके वो पूछा ..
घर कैसे चलेगा ?
उत्तर तो मेरे पास नहीं था ..
न उनके पास जो कल देश चलायेंगे
वो फिर से भुट्टे बेचेगा ..
और तमाम रिपोर्टों में हम ..
DEMOGRAPHIC DIVIDEND लिख आयेंगे |
kamagra uk next day delivery paypal 306
https://fcialisj.com/ – buy cialis online united states
Cialis Durata Scadenza Skimierrorma order cialis Atmorn Buy
Wonderful words, woven in a beautiful poem, that depict the depth of feelings towards the children who are leading such difficult life.