भयावह स्वप्न

Shaveta Shaveta

तूफानी हवाओं का ज़ोर ,
ऊपर से रात्रि का सन्नाटा अति घनघोर ,
सूखे पत्तों की चरमराहट से दिल में दहशत का ज़ोर ,
हर छोर से आता भयावह आवाजों का शोर ,
ऐसे में एक साया आता दिखा अपनी ओर ,
धड़कने तेज होने लगी दिल की, जैसे-जैसे वो बढ़ता मेरी ओर ,
कंपकपाती आवाज़ से चिल्लाते हुए जब आस-पास नजरें दौड़ाई ,सूनी थी राहें और सूना हर मोड़ ,
लड़खड़ाते, कदमों से जैसे ही बचने को दौड़ लगाई ,
उस साये को सामने देख डर से आवाज ही निकल नहीं पाई,
तभी किसी ने मुझे जोर से थपथपाया,
चिल्लाकर जैसे ही उठा वह भयावह स्वप्न था, ये सोचकर शुक्र मनाया |


Leave a comment

Please note, comments must be approved before they are published