बेशुमार प्यार!

वृंदा नारंग

 

दिनों दिनों परवान चड़ता हमारा यह प्यार,
शादी के मज़बूत बंधन में बँधा यह,
इस जहाँ की हर एक चीज़ से खूबसूरत,
सूरज की उगती किरण से बढ़ता जाता,
जाड़े की गुनगुनी धूप का एहसास दिलाता,
तपती हुई गर्मी में वृक्ष की छाया बनता,
हम दोनों का यह अटूट प्यार,
एक दूसरे को अपने में ही समेटे हुए,
एक दूसरे के लिए समर्पण का भाव लिए हुए,
एक दूजे में खो जाने,डूबे रहने का एहसास दिलाता है यह,
तुम्हारे सामने रहने पर भी तुम्हारे होने का एहसास दिलाता यह,
नई नवेली दुल्हन की तरह हर पल शरमाता इठलाता अपने आप में ही सिमट जाता,
मेरी रूह को छूकर चला जाता,
जिंदगी के मुश्किल फ़ैसलों को आसान बनाता है यह प्यार,
उस खुदा की रहमत,

उसकी इबादत है यह,
सदा ऐसे ही फलता फूलता रहे यह प्यार,
और यूँ ही बिखेरता रहे अपने सतरंगी रंग,
और सदा रहें हम उमंग के संग!!

 


5 comments

  • Amen.

    Siddharth Sharma
  • अत्यन्त दिलकश कविता । पढ़ने के पश्चात पढ़ने वाला आप जैसे भाग्य शाली युगल को मिलना चाहेगा जिन के बीच ऐसी अनुभूति आज भी सजीव है !

    संजीव
  • Beautifully phrased. Behad khoobsoorat…yuh hi parwaan chadta rahey aap dono ka yeh beshumaar pyaar

    Smita Saxena
  • Nice poem Well done Vrinda Ji ?

    Anju Sharma
  • Beautiful expression, dear Vrinda! Keep it up?

    Kiran Kapoor

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