By Neha Parakh
प्रिय दैनंदिनी, आओ याद करें कुछ लम्हे खास,
जो हमेशा रहेंगे दिल के बहुत पास।
मां ने पहनाई नथ तो मामा ने चूड़ा पहनाया,
सर से पैर तक क्या खूबसूरत रूप निखर आया,
लाल रंग का जोड़ा मुझे बड़ा लुभाया,
सबके चेहरे पर मुस्कान देख मुझे भी आनंद आया।
जोर से बजी शहनाई, चौक में मेरी बारात आई,
खिड़की से ताके देख मैंने पिया की झलक पाई,
दिल में हुई अजब कशिश जाने कैसी हलचल,
जैसे समंदर की लहरें हो शांत फिर भी चंचल।
आरती की थाल से मां ने दूल्हे की नजर उतारी,
सालियों ने जीजू की खूब की नाक खिंचाई,
हाथों में वरमाला लिए पास वह मेरे आए,
भाइयों ने कहा बहना पहले तू ही पहनाए।
नोकझोंक से हुआ सबको हर्ष और उल्लास,
तभी वह चुपके से बोले, “क्या खूब जच रही हो यार”,
सहमी सी थी मैं अचानक प्यारी सी मुस्कान आई,
सच कहूं तो पिया की वह बात मुझे बहुत भाई,
अग्नि के समक्ष उन्होंने हाथ मेरा थामा,
रचा के मेहंदी हथलेवा की, ऊपर वाले से आशीर्वाद पाया।
कन्यादान के लिए पंडित जी ने माता-पिता को बुलाया,
बचपन से रही उनकी लाडली सदा थी उनकी छत्रछाया,
उम्र भर का साथ कुछ पलों में सिमट गया,
मानो जैसे अपनों ने ही मुझे पराया कर दिया।
पंडित जी ने तभी ही पहला फेरा समझाया,
एक झिझक एक भूचाल सा मन के भीतर छाया,
तभी बगल से उन्होंने बेधड़क कहा,
डरो मत मैं तुम्हें सदा खुश रखूंगा,
उस प्रेम भरी निगाहों ने मेरा दिल जीता,
अब जो भी हो संभाल लेंगे अपना आप बीता।
प्यार के ढाई अक्षर की सीढ़ी में चढ़ गई,
खुशी-खुशी सात फेरों से शादी में बंध गई,
एक नई शुरुआत उस दिन जीवन में आई,
नया घर नए रिश्ते नए लोगों से मिल पाई।
छह साल पर अब भी उतनी ही ताजी है यादें,
सदा यूं ही चलती रहे ज़िंदगी की यह सौगाते,
शादी की वह सुनहरी यादें लगे बड़ी ही प्यारी,
जब भी देखूं किसी और की डोली,
नजर मुझे अपनी ही आती।
Amazing Poem! Keep it up!👏🏻👏🏻
Wow superb
Very well written
Beautifully written ❤️