By Kate M
लोग क्या कहेंगे ये ना राम ने सोचा, ना गौतम ने..
बस त्याग दिया मुझे ।
उतरन के समान उतार फेंका..
और पतझड़ के सूखे फूलों कि तरह भूल गए..
लोग क्या कहेंगे एक मर्यादा पुरुषोत्तम को..
और क्या बोलेंगे एक सिध् सिद्धार्थ को ।
कह पाएंगे .. ?
पूछ पाएंगे.. ?
जो शब्द मेरे कर्ण पुष्पों को खंजर के समान भेदते हुए मेरे आँचल को चीर गए ..
क्या मेरे प्रिय उन लोगों के ठहाकों कि गूँज में मुझे संकुचाया सा खड़ा ढूँढ़ पाएंगे?
लोग क्या कहेंगे ?
ओह हो! क्या सोचेंगे ये लोग ?
अगर इसी उधेड़ बुन में मैं लगी रहती तो क्या आगे बढ़ पाती ?
आगे बढ़ कर नभ की नाभि से छलांग लगा धरती के परे चांद, तारों को छू पाती ?
लोग क्या कहेंगे .. ?
कहो ना .. बेटी को भी पढ़ा कर आगे बढ़ाओगे।
कहो ना.. दहेज ना देंगे, ना लेंगे ।
कहो ना .. मेरी बेटी भी ऑफिसर बनेगी और मेरा बेटा भी घर में हाथ बटाऐगा।
ए लोगों कुछ कहो ना .. कुछ ऐसा भी कहो ना ।
Wow!💜
Wow!💜
Motivational!!