(लड़कियों के लिए)
शरीर मेरा ,कपड़े मेरे,मन मेरा पर माॅं को डर लगता है ",बेटा छोटे हैं कपड़े !लोग क्या कहेंगे?"
सपना मेरा,जुनून मेरा, फिर क्यों फ़र्क पड़ता है कि सिलाई करूँ या मुक्केबाज़ी पर दादी कहती हैं," लड़की होके लड़कों के खेल। लोग क्या कहेंगे?"
साथ मेरा , दोस्त मेरे, फिर क्यों फ़र्क पड़ता है कि लड़कों से दोस्ती करूँ या फिर लड़कियों से पर माँ कहती हैं "लड़कों से दोस्ती! लोग क्या कहेंगे?"
सपना मेरा, मर्ज़ी मेरी फिर क्यों फ़र्क पड़ता है कि नौकरी करूँ या शादी पर कहती हैं कि," उमर निकल जायेगी न तो कोई नहीं पूछेगा! फिर लोग क्या कहेंगे?"
सहजता मेरी, मर्ज़ी मेरी फिर क्यों फ़र्क पड़ता है कि खज़ाना लेकर आउँ या खाली हाथ पर लड़के वाले कहते हैं कि," इससे कम में तो डील नहीं हो पायेगी ! वरना लोग क्या कहेंगे?"
प्यार मेरा,इच्छा मेरी फिर क्यों फ़र्क पड़ता है कि,लड़की से प्यार करूँ या लड़के से पर पापा कहते हैं ," नाम डुबा दिया तुमने! अब घर पर बैठो और दफ़तर जाना बन्द। वरना लोग क्या कहेंगे?"
(लड़कों के लिए)
शरीर मेरा,कपड़े मेरे,मन मेरा फिर क्यों फ़र्क पड़ता है कि शर्ट पहनू या साड़ी पर पापा कहते हैं कि." शर्म कर नालायक! लड़का है तू,लोग क्या कहेंग?" .
सपना मेरा,जुनून मेरा फिर क्यों फ़र्क पड़ता है कि इंजीनियरिंग करूँ या फिर खाना बनाऊँ पर घरवाले कहते हैं कि," लड़का होकर खाना बनाएगा, लोग क्या कहेंगे?"
प्यार मेरा,इच्छा मेरी फिर क्यों फ़र्क पड़ता है कि लड़के से प्यार करूँ या लड़की से या फिर दोनों से पर माँ कहती हैं कि," शशशश..... बाबाजी सब ठीक कर देंगे।तब तक किसी से कहना नहीं वरना लोग क्या कहेंगे?"
डर मेरा,सहजता मेरी फिर क्यों फ़र्क पड़ता है जो अगर मुझे छिपकली से डर लगता है पर मेरे दोस्त कहते हैं कि," लड़का होकर छिपकली से डरता है, किसी से कहना नहीं वरना लोग क्या कहेंगे?"
मन मेरा, भावना मेरी फिर क्यों फर्क पड़ता है सबको अगर मैं भावुक हो जाता हूँ कभी पर भईया कहते है़ कि " पागल है। ये क्या लड़कियों की तरह रोता है, लोग क्या कहेंगे?"
Very beautiful
CyOAjGadtE
UCoYSyIeMV
I m proud of you…
Amazing lines . Loved it!!!
Loved the issues you wrote about.
Amazingly penned.!
Beautifully written
Beautifully written
Beautifully written
Beautifully written