By Ritika Chowdhary

बेटा आकर एक दिन बोला,
"पापा, मुझे राइटर बनना है। "
पापा ने कहा, "लोग क्या कहेंगे?
इंजीनियर का बेटा ऐसे सपने देखता है। "
बेटा अपने सपनों का गला घोंटकर,
पापा की आशाओं पर खड़े होने की कोशिश करता रहा।
क्योंकि लोग क्या कहेंगे
इस बात से उसे फर्क पड़ता रहा।
उसने घर से भागने की कोशिश की
मगर कुछ सोच के रूक गया।
"लोग क्या कहेंगे?
बेटा घर से भाग गया। "
एक दिन वह थक गया और छत से कूदने की कोशिश कि
मगर उस पल भी मन में एक खयाल आया।
"लोग क्या कहेंगे?
बेटे ने हारकर स्यूसाइड कर लिया। "
ज़िन्दगी में हर कदम यह सोचकर लेता गया
कि लोग क्या कहेंगे।
अब मरने के पहले भी यह सोच रहा है
"लोग क्या कहेंगे? "
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This poem won in Instagram Weekly Contest held by @delhipoetryslam on the theme 'What will people say / Log kya kahenge'
Excellent work,please keep it up ,we are expecting a lot from you
Wonderful. It’s so real, happening in our society all the time.
Keep it up.. we’ll written
A great message given in a very beautiful way
So natural