मेरी "प्रिय डायरी"

By Dr. Bhakti Sheth
आज फिर से तेरा सहारा दे मुझे ।
उलझे मेरे हालात कुछ यूं सुनाने है ।।
नहीं कहा जाता क्या बरपा मुझपे  कहर।
एक ही पल में कैसे आई दुखों की लहर।।
खोया एक इंसान जो मुझे बहोत प्यारा था।
उसके बिना ना मुझे जीवन गवारा था ।।
ज्यादा ना सोच ए डायरी की ये कौन है।
मतलबी दुनिया में अब इश्क़ करता कोन है
एक किसान सी थी जो मुझे दुनिया में बोया था 
अरे हा वो मेरी "मां" थी जिसे मैने खोया था ।।
उसकी गोद से जीवन जो व्यापा था ।
पढ़ लिख कर जो उसका नाम स्थापा था ।।
एक ही दिनमें मेरी दुनिया जाने घूम गई ।
वो मेरी मां मुझसे जाने कहीं गुम गई ।।
जैसे उसने दुनियामे आते मुझे देखा होगा ।
वैसे मैने धीरे धीरे उसे मुझसे दूर जाते देखा ।।
आखरी वक्त में ना हुई दिल की बात भी ।
इसी तड़प में नहीं गुजरती है मेरी रात भी।।
अरसा हुआ कि तेरी आवाज़ को सुना होगा।
जाने कब तेरे हाथ के खाने को चखा होगा।।
अब ना वो शक्स ना आवाज़ है कहीं ।
ना उसके हाथ का स्वाद ना मिठास कहीं।।
ज़िंदगी शुरु होते ही जाने पूरी हो गई।
हजारों खवाहिशें थी सब अधूरी रह गई।।
अब बस तेरी फोटो को देखते रहती हूं ।
"मां" तू मेरी ताकत बनना यही कहती हूं ।।

4 comments

  • ❤️

    MJ
  • Very nice

    falguni pilot
  • Loved the lines …. !
    So touching it is ! 😌

    Kajol
  • Heart touching lines

    Kakoli

Leave a comment

Please note, comments must be approved before they are published