By Tanya Jain
चलो ना हम सही, ना तुम गलत
हम वक्त देते हैं इस बात को अब
है बात ये गम्भीर यूं तो
पर जाने दो उसे,
क्या ख्याल है अब?
चलो मान ले और जाने दे गुज़री हुइ उस बात को
चलो मान ले और जाने दे गुज़री हुइ उस रात को
चलो भूल ही जाते हैं कि उस रात में कुछ बात थी
चलो भूल ही जाते हैं कि उस रात वो मेरे साथ थी
चलो भूल ही जाते हैं कि उस रात भी चांद आया था
चलो भूल ही जाते हैं उसे, तेरी ज़ुल्फ़ों का जो साया था
चलो भूल जाते कि कभी कद्र मेरी वो करते थे
चलो भूल जाते है कि मेरी हर बात पर वो मरते थे
चलो भूल जाते है कि उनकी अदा ही कुछ हसीन थी
चलो भूल जाते है कि वो बस एक रात थी जो रंगीन थी
चल मान लिया उस रात थी और आज भी मेरी गल्ती है
पर याद रख तेरे ही नाम से ये सांसें आज भी चलती हैं
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This poem won in Instagram Weekly Contest held by @delhipoetryslam on the theme 'My Sincerest Apologies'
I like the reinforcement of an idea for emphasis. Nice poem.
Sometime acceptance can save a relation.
Nice.
Forgetting someone uh loved is hard,I can feel this poem..😌😌
Memories always gives uh the hope to live happily 🤗