भारतीय चाय

By Vrinda

'गरम-गरम चाय का मज़ा ही कुछ और है'

फिल्मी दुनिया के कथोपकथन के 
कभी ना भूलने वाले dialogue की तरह ही 
भारतीयों की चाय की प्याली में बसी दुनिया का 
एक विशेष dialogue 
'गरम-गरम चाय का मज़ा ही कुछ और है'
 
 
अरे हाँ,  सच में 
कई असरारों को अपने अंदर समेट 
'Tea' के छोटे-छोटे घूंट से परे  
'चाय' की लम्बी-लम्बी चुस्कियाँ 
इनका मज़ा ही कुछ और है 
 
अरे ! चाय तो पीते जाइये 
ऐसे आह्वाहन से ही रोक देने वाली 
फिर धीमी आंच में पनप रही पुरानी बातें 
यूँ ठहाकों के साथ आंच तेज़ करते ही उबल आती हैं 
इन ठहाकों का मज़ा ही कुछ और है 
 
अरे ! क्या हुआ? 
कुछ अदरक, इलाइची वाली चाय के साथ 
यूँ ही पूछ लेते हैं उस से 
वो जो कुछ परेशान सा दिखाई पड़ता है 
फिर अरसे बाद वो मुस्कुराहट देखने का मज़ा ही कुछ और है 
 
अरे ! हम भारतीय है ना 
सारी खुशियाँ, आशाएँ, इच्छाएँ, सब कुछ 
भर देते हैं इस चाय की प्याली में 
और ढूंढ लेते हैं परेशानियों का हल भी इसी में 
क्योंकि 'गरम-गरम चाय का मज़ा ही कुछ और है'\
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This poem won in Instagram Weekly Contest held by @delhipoetryslam on the theme 'Indianess'

3 comments

  • Amazing one ❣️💯

    Tanvi
  • Such an amazing poem after reading this I am craving to have a cup of tea . ❤❤ I am short of words to explain how much I liked this poem💯

    Kurangi
  • That’s really beautiful. The words used, that composition between “tea” and “chai” had been beautifully made. Really good 👏🏻👏🏻

    Chetna

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