By गोविन्द 'अलीग'

नया साल का अब नया तराना,
हम सबको है मिलकर बनाना,
बुरी आदतों को कुड़ेदान में डाल,
नया-नया सद्गुण है अपनाना,
।
कड़े ज़ुबाँ को बहुत दूर भगाना,
राग मधुर के नया गीत सुनाना,
अपने पराये सबसे प्यार जताना,
सबके दिल में प्रेम जगह बनाना,
।
कोरे कैनवास पे नया चित्र बनाना,
नये उमंगों से नया साल सजाना,
नैतिक मूल्यों के ह्रास को बचाना,
कोरेकाग़ज़ पे कविता लिख जाना,
।
वक़्त से बड़ा शिक्षक मुझे बताना,
नैतिकता का सबको पाठ सीखाना,
वक़्त के साथ चलते क़दम बढ़ाना,
सफलता के कद्रदानों का यही तराना,
।
जीवन मे दुःख-सुख यही तराना,
लगा रहता, इनका आना-जाना,
मन की व्याकुलता समझ जाना,
उड़ते पंक्षी को होता ज़मीं पे आना,
।
नए साल में होगा नया रंग जमाना,
कुछ अच्छा करना, हो दंग जमाना,
पैरो पर खड़े होकर होगा दिखाना,
सदराहो पर है बची जिंदगी बिताना,
।
Beautiful poem!!