चाय और हम तुम बातें खूब शानदार होती,

By Govind Aleeg
 चाय और हम तुम बातें खूब शानदार होती,
सुकून भरी चाय में खुशियां भरमार होती,
हसीन मुलाकाते, दो-चार बातें चाय पर होती,
गिला शिक़वा सब तुम्हारे साथ चाय पर होती,
शाम की चाय की रुतबा तुम्हारे साथ होती,
तुम बिन चाय की शिकायतें भी तमाम होती,
चाय और हम थे जब तुम नही साथ होती,
तन्हा आंखे अश्कों से पूरे बदन को भिगोती,
तुम बिन ना ज़िन्दगी, चाय में स्वाद ना होती,
ये कैसी ज़िन्दगानी आंखे हद ज्यादा है रोती,
ज़ीस्त की मस्तियां तुम्हारे साथ की चाय में होती,
दम तोड़ देती है खुशियां जब साथ तुम नही होती,
गर मेघ हँसमुख चौतरफ़ा सुखन बारिश होती,
बिजली कड़के जैसे मेघ के धड़कने होती,
धड़कनो की आहट महसूस चाय को होती,
तेरे ना होने पर सिसक कर चाय भी है रोती,
चाय की चुस्कियां में तड़प घुटन भी होती,
तुम बिन हसीन शामें जमीं में दफन होती,
उलझी हुई ज़िन्दगानी कटी पतंग सी होती,
तुम बिन चाय की चुस्कियों में उमंग नही होती,\
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This poem won in Instagram Weekly Contest held by @delhipoetryslam on the theme 'Indianess'

1 comment

  • Really poem is amazing and word collection very beautiful.

    Arushi

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