खता ये नही की,



By Priyanka Yadav

 

खता ये नही की,
क्यों मोहबत नही तुम्हे हमशे ,
सिकवा तो ये हे ,
 यू पीठ पीछे वार ना करते |
तेरे सजदे में तो मैने ज़िन्दगी कलाम की थी,
जिस्म और रूह तक तेरे नाम की थी ,
साथ मंजूर ना था तो कह देते ,
कम से कम हम तुम्हे बेवफा का नाम तो ना देते |
खता ये नही ,
क्यों महोबत नही तुम्हे हमशे ,
गिला तो ये है क़ि,
अ बेखबर तुझे तो खबर भी नही,
किस कदर गिरा गया तू ,
लोगो कि,
लोगो कि तो छोड ,
मुझे मेरी ही नजरो म गिरा गया तू ,
खता ये नही,
क्यों मोहबत नही तुम्हे हमसे, मोहबत ना थी तो ना सही ,
इंसानियत के नाते हि सही कम से कम इज़्ज़त तो करता ,
आया था जिस जिस्म के इतना करीब कभी ,
बैठ महफ़िल मे,
 उसे यूँ सरेआम बदनाम तो ना करता |
बाजार में बिकने वाला खिलौना बना गया तू ,
जब तक मन  चाहा खेल ,
फिर भुला गया तू,
खता ये नही,
क्यों मोहबत नही तुम्हे हमशे ,
गिला तो ये है ,
जिसे खुदा समझा मने ,
उसमे एक इंसान भी ना मिला मुझे |
-------------------------------------------------------------------------------------------
This poem won in Instagram Weekly Contest held by @delhipoetryslam on the theme 'Breakup'

4 comments

  • With appropriate beat, I think these can be made to lyrics of a song. Wonderful!

    Sudarshan Kumar
  • Great lines pinky😍

    Kirti sharma
  • Gazab linings…
    Fabulous ma’am….
    Heart touching linings😍

    Monika motlia
  • Bhut khoob pinku

    BP sunaria

Leave a comment

Please note, comments must be approved before they are published