कुछ खास नहीं, बस. . . – Delhi Poetry Slam

कुछ खास नहीं, बस. . .

Krati Gahlot

उसके जाने का क्या असर हुआ है मुझपर?
कुछ ख़ास नहीं,
बस मैंने खुदको समझाना छोड़ सा दिया है,
खुलकर खिलखिलाना मैंने बस छोड़ सा दिया है,
सवालों में खुदको कैद सा कर लिया है,
किसी की खुशियों का एक हिस्सा बनना छोड़ सा दिया है,
खुद पर यकीन करना छोड़ सा दिया है,
खामोशियों से एक नया रिश्ता जोड़ सा लिया है,
तन्हाइयों में खुदको खो सा दिया है,
आंसुओं को बहाना मैंने छोड़ सा दिया है,
अपनी पहचान को कही पीछे छोड़ सा दिया है,
खुदसे बातें करना मैंने छोड़ सा दिया है,
अपने आप से मैंने हाँ..मुँह सा मोड़ लिया है,
कुछ ख़ास नहीं,
मैंने बस ज़िन्दगी को ज़िन्दगी की तरह जीना छोड़ दिया है।

8 comments

  • Jabardast…👌👌

    Vidit
  • Keep inspiring me my mighty pagli <3

    Sanga
  • Keep inspiring me my mighty pagli <3

    Sanga
  • Love your poem…. dil me ghar kar diya….

    Sunil
  • So meaningful

    Aparajta
  • Beautifully written.!!

    Yash
  • Beautifully written.!!

    Yash
  • Love the poem….😍👌

    Divya

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