
By Kiran Patel
कहने को तो हसीन है सफर मेरा
सूर्य की किरणों के साथ शुरू होकर संध्या तक चलता रहता है खुश होती हूं ......
जब हसीन रास्तों से गुजरती हूं ,
खुश होती हूं ......
जब अनजाने रास्ते पर बादलों सी बरसती हूं...
सूर्य की नई किरण आंखों में ख्वाब भर जाती है,
नन्हे नन्हे बच्चे जब स्कूल जाते हैं ,आंखों में उनकी आने वाले कल की तस्वीर नजर आती है ,
जब पेड़ों पर पक्षी चह चहाते हैं,
शायद वो आने वाली कल की एक नई उम्मीद जगाते हैं,
पर यह हसीन सफर हसीन ना रह पाता है...
जब इंसानियत का अमानवीय रूप नजर आता है
कैसे बूढ़ी लाठियों को कोई सहारा देने के लिए तैयार नहीं होता,
कैसे उन लोगों की तकलीफ का एहसास नहीं होता,
कैसे लोग किसी का फटा बस्ता देख मजाक उड़ाते हैं,
किसी गरीब को देखकर बिना वजह हंसते,मुस्कुराते हैं,
कैसे किसी की सांसों की डोर टूटने पर मूक दर्शक बन जाते हैं,
हाथ थामने की बजाय अनजान रास्तों पर अकेला छोड़ जाते हैं,
देखा है मैंने,पूजनीय गाय को रास्तों पर भटकते हुए...
पानी की एक-एक बूंद को तरसते हुए....
मानवता को पल-पल मरते हुए देखा है,
लोगों को अपने फर्ज से मुकरते हुए देखा है,
ऐसे व्यवहार को देखकर हैरान सी हो जाती हूं...
ऐसी स्थिति को लेकर परेशान सी हो जाती हूं...
जाना चाहती हूं,क्या बेवजह है फिकर मेरा?
यूं तो हसीन है सफर मेरा.....
Thank you everyone for your appreciation….
Wah!
Very nice lines ji 👍👍👍👍
हर दिन का आँखों देखा सफ़र …..उम्दा कविता
Real life touching poetry .very good job God bless you the future
Veri nice & realty poetry
Really nice ..
Awesome lines👌👌👌👍👍👍