एक ही छत के नीचे

एक ही छत नीचे,
दादी की कहानियां,
दादा के नियम,
मां की ममता,
पापा की डाट,
चाचू का चिढाना,
चाची का दोस्ती भरा व्यहवार,
भाई बहन से टकरार,
और गर्मियों में भुआ का इंतजार।
मानो एक ही छत के नीचे,
जैसे बसा हो छोटा प्यार भरा संसार,
जहां ना कुछ मेरा है,और नाही कुछ तेरा,
बस सब कुछ हमारा है,
जहां हर दिन मानो त्यौहार है,
और हर शाम मानो कहानियों की महफ़िल है,
जहां टकरार तो है,
लेकिन मानो प्यार उससे भी बहुत ज्यादा है,
और जहां सब मानो एक ही थाली के चट्टे बट्टे है।
और ऐसा खूबसूरत सा नज़ारा,
सिर्फ हिंदुस्तान में देखने को मिलेगा,
हर शहर के हर मोहल्ले में,
एक ही छत के नीचे,
छोटा सी दुनिया,
प्यार से सिंची हुई,
और अपनेपन से बनाई हुई।
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This poem won in Instagram Weekly Contest held by @delhipoetryslam on the theme 'Indianess'

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