इब्तिदा इ ज़िन्दगी

By Nuhushan Shareef S

उड़ते सूरज मै खड़े शाम का इंतज़ार नहीं करुँगी
ज़िम्मेदारियों मै भीगने के लिए सावन की तलाश नहीं करुँगी
फ़र्ज़ अधूरे रक् अब पूरी दुआ की फरमाइश नहीं करुँगी
वक़्त के सागर मै ज़िन्दगी की कश्ती बहती है
किस्मत कही तूफान से मुलाकात न करवादे उस दर मै खड़े कल का किनारा ढूंढा नहीं करूंगी
अब पूरी  होने के लिए उत्तम होने की फरियाद नहीं करुँगी
इस बार नए साल की नहीं नयी ज़िन्दगी की शुरुवात करुँगी

3 comments

  • very nice blog

    af62fod23441k83b

    Noysislop
  • Short and sweet. Loved it😊

    Varsha Mishra
  • I love this!💜

    Ankita

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