आदत तुमने मुझको बना ली है



By Poonam Jain

 

आदत तुमने मुझको बना ली है
आदत  नहीं बदली  तो
क्या होगा
कभी सोचा है तुमने कि आगे क्या होगा?


चलो मान लिया की झगड़ती
हूं मैं
चलो मान लिया लड़ती हूं मैं
चलो मान लिया बहुत दिल दुखाया हैं तुम्हारा
चलो मान लिया बहुत रूलाया हैं तुम्हें
चलो मान लिया कि फ़िक्र नहीं तुम्हारी
चलो मान लिया कि  मैं एक गलती हूं तुम्हारी। ।
चलो मान लिया की  मैं एक गलती हूं तुम्हारी।।

लेकिन सच कहूं तो

तुमसे ज़्यादा हर रोज़ मैं खुद से झगड़ती हूं
हर रोज़ तुमसे बात न करने के बहाने ढूंढती हूं
हर रोज़ दिल तुम्हारा दुखाती हूं
हर रोज़ अपने आंसू  छुपाती हूं
आदत ना बन जाऊं कहीं
ये सोच हर रोज़ नई कहानी बनाती हूं
मन में भर दूं नफरत अपने लिए इतनी
इसलिए फिक्र होते हुए भी नहीं जताती हूं
नादान से तुम्हारे मन को तोड़ना नहीं चाहती हूं
इसलिए हर रोज़ तुमसे लड़ कर  खुद से लड़ जाती हूं
ऐसा नहीं दिल नहीं मेरे पास
पर बस  अब समझाने से
डरती हूं

खैर ।।
चलो तुम मान लो कि मैं तुम्हारी एक गलती हूं ।
चलो  तुम मान लो कि मैं तुम्हारी एक गलती हूं।।

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This poem won in Instagram Weekly Contest held by @delhipoetryslam on the theme 'Breakup'

2 comments

  • Nice poem

    BP sunaria
  • Amazing, I am not much of a fan of Hindi poems, but this is something else. Something different.

    Naiela Omer

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