By Gunjan Narang
मध्धम सी हवाओं ने बदला अपना रूख कुछ यूँ, की आँधियाँ सी चलने लगी
ये आँधियाँ लायीं अपने साथ बारिश की बौछार
वो बौछार जो मौसम ए राहत का प्रतीक है
उनके लिए जिनके घर में AC नहीं है! उनके लिए जो ना जाने कबसे प्यासे बैठे हैं ।
उनके लिए जो तबसे इस इंतजार में बैठे हैं
की हौली हौली कुछ बूँदें उनके तन को छूऐ
अम्बर का वो बरसता पानी उन्हें सुकून दे
पर? आँधियाँ तो सिर्फ़ कुछ बुरे होने का इशारा होती थी ना? पर ये आँधियाँ तो सिर्फ़ मुस्कान और उल्लास लेकर आयीं हैं !
तो क्या निचोड़ निकाला जाए?
ठहर, ज़रा रुक, और सोच की क्या सारी बोली हुयी बातें सच होती है?
उत्तम