By Keeratleen Kaur
आँँखों के परदे अब नम हो गए हैं
बातों के सिलसिले भी कम हो गए हैं
पता नही गलती किसकी है
वक्त बुरा है
या बुरे हम हो गए हैं
पलकों पर रखा आज भी समुंदर का खुमार है
ऐ दोस्त तेरी माफी का मुझे आज भी इंतजार है
बातें ना बताने के फैसले जो लिए हैं
हम दोनों में उसके बाद सिर्फ फासले ही बङे हैं
ना जाने तेरी मुझसे कौन सी तकरार है
हाँँ तेरी माफी का मुझे दिल से इंतजार है
अकसर अंधेरा मुझे मेरी गलतियों का अहसास करवाता है
शांत रातों में तेरी-मेरी यादों के पल याद दिलाता है
ना जाने इतने दोस्त होने पर भी तेरी कमी कयों महसूस करवाता है
भावनाऐं दिमाग पर करती बुरा वार है
मेरी दोस्त तेरी माफी का मुझे बहुत इंतजार है
माना दोस्ती में दूरियाँ आती हैं
जो दोस्ती को मजबूत बनाती हैं
दूरियों से फर्क नहीं पङता बात दिलों की नजदीकियों की है
मेरे लिए मेरी दोस्त तू बहुत मायने रखती है
वरना मुलाकात तो हमारी न जाने रोज़ कितनों से होती है
तेरी दोस्ती में कुछ अलग सा खुमार है
हाँ तेरी माफी का मुझे दिल से इंतजार है
बीते हुऐ कल वापिस नहीं आते हैं
तेरी~मेरी दोस्ती के किस्से मुझे बहुत याद आते हैं
यादों का सहारा लिया है मैने किसी रूठे को मनाने के लिऐ
पुरानी दोस्ती पाने को दिल बहुत बेकरार है
ऐ दोस्त तेरी माफी का मुझे आज भी इंतजार है।
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This poem won in Instagram Weekly Contest held by @delhipoetryslam on the theme 'My Sincerest Apologies'
😘
Well expressed! 😍
Ae dos teri maafi ka mujhe ab bhi intezaar h ….i somewhere relate this poem with me .. Its lovely 😊
Osum.. Congratulations
Nice 🌺