अपनी बेटियों को तुम मत सुनाना

By Ankush Tiwari
अपनी बेटियों को तुम मत सुनाना 
कहानियाँ संस्कार की
बड़े बुज़ुर्गों की राह पर चलने वाले विचार की
इन्हें मत समझाना समझौते करने के फ़ायदे
बर्दाश्त करने के तरीक़े
सर्वप्रथम इनके सामने 
महानता के खंभे उखाड़ फेंकना
हाँ ज़रूर इन्हें नर्म बनाना पर 
परिस्तिथियों के अनुसार 
दहाड़ना भी सिखाना
इन्हें "ये मेरा बेटा है" कह कर 
कतई संबोधित मत करना
कपड़े, गाड़ी, मेक अप चुनरी, खेल, कुल्हाड़ी
हर चीज़ का चयन मर्ज़ी से करने देना, 
इनके ख़्वाबों के उड़न खटोले को 
अपनी रूढ़िवादी मूर्खता पूर्ण बातों के तालों से 
क़ैद मत करना, इन्हें जो भी बनना है बनने देना
नहीं नहीं इन्हें तुम्हारी अनुमति की 
कोई ज़रूरत नहीं
इनकी आज़ादी 
किसी शय की मोहताज नहीं
यह कर के तुम इन पर 
कोई एहसान नहीं करोगे
बल्कि अपने मानव होने का परिचय दोगे
इन्हें गिरने से बचने के उपाय मत बताना
गिर के उठने के रास्ते भी मत दिखाना
अपितु जो जो जब जब जैसा जैसा माहौल हो
उसी के अनुसार, 
अपने हृदय को सबसे आगे रख कर
निर्णय लेने की सिर्फ़ सलाह देना, 
हाथ चाहे मत बढ़ाना
इन्हें कुलटा काली मुँह फट साली
इन शब्दों की वास्तिवकता से अवगत करवाना
इनके पीछे की सच्चाई एवम मंशा बतलाना
दहेज नहीं शिक्षा का महत्व दिखाना
शादी का नहीं महत्वकांक्षों का लक्ष्य दिखाना
माता पिता नहीं
इनके दोस्त बन कर अपना फ़र्ज़ निभाना, 
इसके बाद ही तुम दुनिया छोड़ कर जाना, 
अपने इंसान होने का प्रमाण देते हुए जाना।

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