By Kamal Deep Sahu
डीयर डायरी,
बहुत दिनों बाद आज लिखना चाहता हूँ
गुस्सा बहुत है, चीखना चाहता हूँ
सुना है बहस खत्म हो गई है संसद में
कुछ सवाल मैं भी पूछना चाहता हूँ
"क्यूँ हुआ कि देश लाचार हुआ
पुतले जले, हाहाकार हुआ
आवाज़ उठी तो अत्याचार हुआ
कॉलेज में कानून शर्मसार हुआ
जिसकी कहे पे जल रहा है मुल्क
वो कहाँ समझदार हुआ
सिमट के रह गया इंसाफ तिजोरी में
जायज़ है, किसका तू चौकीदार हुआ
काठी के बदले मिली है लाठी
बड़ा घाटे का कारोबार हुआ
पेट्रोल अस्सी, प्याज दो सौ पार हुआ
खैर क्या, कौनसा पहली बार हुआ
फर्क़ नहीं है सरकार बदलने से
खामखां ये वोट बेकार हुआ"
याद्दाश्त बहुत कमज़ोर है हमारी
देश फिर सोया, उठा, तैयार हुआ
Nice❤️