Sangeeta Bahuguna – Delhi Poetry Slam

कौन खजाना लुटा गया है

By Sangeeta Bahuguna

 

कौन खजाना लुटा गया है, तेरी मुस्कानों पर ।

कौन मिट गया घुलकर तेरी, मीठी सी बातों पर ।।

 

किसने दी रक्तिम कपोल पर, सर्द हवा की थपकी ।

किससे बातें करती तेरी, लड़ी केश की खुलकर ।।

 

किससे नैन सजल होते हैं, कौन चुराता काजल ।

कौन है भरता स्वप्न सुनहरे, नैन, धूप से धुल कर ।।

 

कौन हास करता होठों पर, ऋतु बसंत सरसाता ।

कौन तुम्हारे मद में भरकर, हंसता है अब गुल पर ।।

 

किसकी बोली दंत पंक्ति पर, बैठ दामिनी दमकी ।

किसकी बातें हुई निछावर, मिश्री जैसी घुलकर ।।

 

कौन हथेली पर उसकी वह, नर्म छुवन रखता है ।

कौन है खोता सुध बुध पग पर, घुंघरू जैसा तुलकर ।।

 

कौन गीत गाकर मन का, संगीत सुना जाता है ।

कौन छलक जाता है हृदय से, कविता जैसी बहकर ।।


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