By Kadarbhai Mansuri
काव्यकुंज
चाय की खुशबू
चाय विविधता में एकता की मनभावन खुशियां लाए ।
हर दिन घर-घर में चाय की मधुर खुशबू बिखर जाए ।
सुबह की चाय से तरोताजा बसंत की बहार छा जाए ।
असम-सिक्किम-दार्जिलिंग के चाय बागान मन लुभाए ।
चाय "अतिथि देवो भव" सम्मान में चार चांद लगाए ।
आगंतुक सुकून भरे पल में चाय के सुनहरे गीत गुनगुनाए ।
चाय कवियों-लेखकों की कलम से प्रेम सुधा बरसाए ।
महफिलों-मुशायरों-जलसों में चाय का रुतबा रंग लाए ।
चाय भूले-बिसरे रिश्तों में प्रेमरंग की खुशियां महकाए ।
चिंता-पीड़ा-थकान में चाय रग रग में उमंग की स्फूर्ति बहाए ।
चाय स्नेह भरी यादों में मन के उजाले की हरियाली लाए ।
यारों-दोस्तों के सुहाने सपनों की चौपाल चाय से जगमगाए ।
चाय पर्वों-उत्सवों-कार्यक्रमों में उर्जा का पैगाम संजोए ।
ऑफिस-दुकान हर जगह चाय की रौनक नजर आए ।
चाय रेलवेस्टेशन-जाहिर स्थलों आदि की खुशहाली बढ़ाए ।
सुख-दुख की घड़ी में चाय अपनेपन का एहसास दिलाए ।
अदरक वाली कड़क-मीठी चाय दिल से दिल मिलाए ।
"चाय पर चर्चा" के संग 'मनसुर' दिल बाग बाग हो जाए ।